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मकर संक्रांति: एक खुशी और समृद्धि का पर्व

मकर संक्रांति कब मनाई जाती है?

मकर संक्रांति हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह पर्व सर्दियों के अंत और दिन के बढ़ने की शुरुआत का प्रतीक है।

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

  1. पतंगबाजी: गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में लोग पतंग उड़ाकर उत्सव मनाते हैं।
  2. पवित्र स्नान: गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है।
  3. अलाव और भोज: पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, जिसमें अलाव के पास नृत्य और पारंपरिक भोजन किया जाता है।
  4. मिठाई बांटना: तिल और गुड़ की मिठाइयां बांटना प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
  5. विशेष पूजा: सूर्य देव की आराधना और अन्न-धन की समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

मकर संक्रांति मनाने के लाभ

  1. आध्यात्मिक लाभ: पवित्र स्नान से पापों का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है।
  2. मौसमी बदलाव: मौसम में बदलाव से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. सामाजिक एकता: मिठाइयों का आदान-प्रदान और सामूहिक उत्सव प्रेम और मेलजोल बढ़ाते हैं।
  4. कृषि समृद्धि: यह पर्व किसानों के लिए नई फसल की खुशी का प्रतीक है।

मकर संक्रांति पर खाए जाने वाले विशेष व्यंजन

  1. तिल-गुड़ के लड्डू: सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा प्रदान करने वाले।
  2. खिचड़ी: चावल, दाल और मसालों से बनी सादा लेकिन स्वादिष्ट डिश, घी के साथ खाई जाती है।
  3. पुरण पोली: गुड़ और चने की दाल से बनी मीठी रोटी।
  4. सक्कराई पोंगल: दक्षिण भारत में देवी-देवताओं को अर्पित की जाने वाली मीठी चावल की डिश।
  5. चिक्की: तिल, गुड़ और मेवों से बनी कुरकुरी मिठाई।

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